किसी नाभिक से `beta^(+)` (पॉजिट्रॉन) उत्सर्जन की एक अन्य प्रतियोगी प्रक्रिया है जिसे इलेकट्रॉन परिग्रहण कहते हैं (इसमें परमाणु की आंतरिक कक्षा जैसे कि `K`-कक्षा से नाभिक एक इलेक्ट्रॉन परिगृहीत कर लेता है और एक न्यूट्रिनों `v` उत्सर्जित करता है।)
`e^(+)+._(Z)^(A)Xto._(z-1)^(A)Y+v`
दर्शाइए कि `beta^(+)` उत्सर्जन ऊर्जा विचार से अनुमत है तो इलेक्ट्रॉन परिग्रहण भी आवश्यक रूप से अनुमत है परंतु इसका विलोम अनुमत नहीं है।


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Correct Answer - प्रतियोगी प्रकमों पर विचार कीजिए
`._(Z)^(A)xto._(z-1)^(A)Y+e^(+)+v_(e)+Q_(1)` (पॉजीट्रॉन परिग्रहण)
`e^(-)+._(Z)^(A)Xto._(Z-1)^(A)Y+v_(e)+Q_(2)` (इलेक्ट्रॉन परिग्रहण)
`Q_(1)=[m_(N)(._(Z)^(A)x)-m_(N)(._(Z-1)^(A)Y)-M_(e)]c^(2)` `=[m_(N)(._(Z)^(A)X)-Zm_(e)-m(._(Z-1)^(A)Y)-(Z-1)m_(e)-m-(e)]c^(2)`
`=[m(._(Z)^(A)X)-m(._(Z-1)^(A)Y)2m_(e)]c^(2)`
`Q_(2)=[m_(N)(._(Z)^(A)X)+m_(e)-m_(N)(._(Z-1)^(A)Y)]c^(2)=[m(._(Z)^(A)x)-m(._(Z-1)^(A)Y)]c^(2)`
अतः `Q_(1)gt0` तथा `Q_(2)gt0` परंतु `Q_(2)gt0` का अर्थ `Q_(1)gt0` आवश्यक नहीं है।

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